विकास सुखीजा
करनाल 14 अप्रैल। शहर से निकलने वाले गंदगी युक्त सीवरेज वाटर को ट्रीट
यानि शोधन करने के लिए नगर निगम द्वारा बनाए जाने वाले 50 एमएलडी (मिलियन
लीटर डेली) सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के वर्क अलॉट होने के बाद बीती 7
अप्रैल को ट्रायल रन पीरियड शुरू हो गया है, जो 3 महीने का रहेगा। इस
दौरान एसटीपी का निर्माण करने वाली पंचकुला की एजेन्सी प्रोजेक्ट स्थल का
सर्वे, डिजाईन ओर कार्य शुरू करेगी, जो वर्ष 2019 के अंत तक तैयार होगा।
निगम आयुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने शनिवार को इस सबंध में जानकारी देते
हुए बताया कि एसटीपी शहर के सैक्टर-4 में ट्रांसपोर्ट नगर स्थित 40
एमएलडी के पुराने एसटीपी का स्थान लेगा। एसबीआर (सिक्वैंसिंग बैच
रिएक्टर) तकनीक से बनने वाले एसटीपी की मॉनिटरिंग, स्काडा (सूपरविज़न
कंट्रोल एंड डाटा एक्विजिशन) से की जाएगी तथा इसमें सीसीटीवी कैमरे भी
लगेंगे। एसटीपी पर 72 करोड़ 45 लाख रुपये की अनुमानित लागत आएगी। उन्होने
बताया कि एसटीपी का निर्माण पूरा करने के बाद एजेन्सी का 6 महीने का
डिफैक्ट लायबिलिटी पीरियड रहेगा, जबकि 5 वर्ष तक ऑपरेशन मेन्टेनेन्स की
जिम्मेवारी भी रहेगी। नई टैक्नॉलोजी युक्त एस.टी.पी. से गंदे पानी को
शोधन के बाद उसमें बीओडी (बायोकैमिकल ऑक्सीजन डिमांड) 30 से घटकर 10 रह
जाएगी। इसी प्रकार सीओडी यानि कैमीकल ऑक्सीजन डिमांड 250 से कम होकर 20
प्रतिशत रह जाएगी, जबकि टीएसएस यानि टोटल सस्पैंडिड सोलिड्स 100 से कम
होकर 5 तक रह जाएंगे। शोधित पानी सिंचाई उद्देश्यो के लिए प्रयोग किया जा
सकेगा। उन्होने बताया कि निगम के कार्यकारी अभियंता महेन्द्र सिंह तथा
सहायक अभियंता मोनिका शर्मा की देखरेख में एसटीपी का निर्माण किया जाएगा।
आयुक्त ने बताया कि अमृत स्कीम के साथ 3 प्रोजेक्ट जुड़े हैं, जिनमें
गंदे पानी की निकासी के लिए नालो का निर्माण, सीवरेज लाईनो की व्यवस्था
और उन पर एसटीपी के निर्माण शामिल हैं। परिणामस्वरूप 20 एमएलडी का फूसगढ़
में और 8 एमएलडी का एक अन्य एसटीपी शहर की शिव कॉलोनी में बनाया जाएगा,
ताकि सीवरेज व्यवस्था का कार्य पूरा होते ही उसमें से निकलने वाले गंदे
पानी को ट्रीट करके उसका खेती इत्यादि के लिए सदुपयोग किया जा सके।