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मुख्यमंत्री के जिला में बाबा बालक नाथ मंदिर का सूरत हाल

कब सुधरेगा व्यवस्था कौन है दोषी

संपादकीय सतीश शर्मा विट्टू
देवभूमि हिमाचल प्रदेश के मंदिरों के लिए जाना जाता है हमीरपुर जिला का अपना इतिहास है सबसे छोटा जिला में पूरे देश में अपना नाम रोशन किया है। विश्व विख्यात बाबा बालक नाथ मंदिर में हो रहे घोटाले तथा अव्यवस्था का आलम श्रद्धालुओं को सोचने पर मजबूर करता है। इस मंदिर का जिम्मा पहले महंत परंपरा के अधीन था तथा गांव के लोग तथा महंत मिलकर इस व्यवस्था को चला रहे थे लेकिन ट्रस्ट बनाने का निर्णय इस क्षेत्र के विधायक रहे मनजीत सिंह डोगरा ने लिया तथा राजा वीरभद्र के साथ मिलकर ट्रस्ट का गठन करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदाकी। मनजीत सिंह डोगरा ने भी उसे समय कभी सोचा नहीं होगा की मंदिर में अव्यवस्था इतनी हावी जाएगी की बाबा के भक्ति में ली लोगों को भी सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा। जब से न्यासा बना है करोड़ों रुपए मंदिर में श्रद्धालु अर्पित करते हैं लेकिन घोटाले हैं कि रुकने का नाम ही नहीं लेते। हाल ही में रविवार को मंदिर में जो घटनाक्रम हुआ उस पर मीडिया में बवाल मचा है। बाबा बालक नाथ मंदिर में कनाडा बंगा का संग रंगड़ बादशाह का पंहुचा था। बिलासपुर जिला के शाह तलाई में अवयवस्था का आलम यह था कि श्रद्धालु रास्ते में परेशान होते रहे सड़क में जाम लगा उसके बाद जब मंदिर में चाला पहुंचा तो मंदिर गुफा में भी जो घटनाक्रम हुआ पहली बार ही देखने को मिला। गुफा पर श्रद्धालुओं का तांता लगा था लेकिन वहां बाकायदा रिकॉर्डिंग की गई तथा मुद्रा को बाबा के स्वरूप पर फेंका गया उस कृत्य की भी लोगों ने श्रद्धालुओं ने कड़ी निंदा कीहै। परंपरा रही है कि जो भी लोग मंदिर में चढ़ावा अर्पित करते हैं उस चढ़ने को गल्लों में डाला जाता है लेकिन पहली बार जिस प्रकार मुद्रा बैंक की गई तथा ज्योति पर जाकर गिरी मुद्रा जल भी सकती थी तथा आज की घटना भी हादसा हो सकता था परंतु मंदिर प्रशासन मंदिर के पुजारी खामोश बनकर तमाशा देखते रहे। इसके अलावा मंदिर में जब से मंदिर बना है घोटाले सामने आते रहे हैं प्रमुखता के साथ जो घोटाले सामने आए हैं उनमें मंदिर में तैनात कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया उसके बाद भी वह कर्मचारी कैसे बहाल हुआ जग जाहिर है।

मुख्यमंत्री के जिला में इस प्रकार की व्यवस्था लोगों के लिए चर्चा का केंद्र बनी है।

हाल ही में बकरा घोटाला पूरे प्रदेश में सुर्खियां बना था। उसके बाद नित अनेक घोटाले सामने आते रहे तथा उनका अंत होता रहा। कभी राशन घोटाला कभी रसीद घोटाला कभी कर्मचारी द्वारा अपने खाते में पैसा डलवाने का घोटाला अगर हर घोटाले की चर्चा करनी हो तो महाकाव्य लिखा जा सकता है। श्रद्धालु भी ऐसे घोटाले पर विरोध कर चुके हैं। मीडिया व कई घोटाले प्रकाशित न होने के कारण जग जाहिर नहीं हो पाए। वर्तमान में जो अव्यवस्था का आलम है मुख्यमंत्री के जिला में इस प्रकार की व्यवस्था लोगों के लिए चर्चा का केंद्र बनी है। इस संपादकीय के माध्यम से हमारा मकसद कोई हंगामा खड़ा करना नहीं है हम चाहते हैं सूरत बदलनी चाहिए बाबा के इस धार्मिक स्थल का विकास होना चाहिए करोड़ों रुपए बाबा के श्रद्धालुओं पर खर्च होने चाहिए। लेकिन तभी संभव होगा जब मंदिर में उच्च रैंक के अधिकारी की स्थाई नियुक्ति की जाए जिसका कार्य मंदिर का विकास करवाना हो।
जनहित में जारी

मुख्य संपादक दैनिक जीत समाचार
एमफिल पत्रकारिता एवं जनसंचार

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