क्यूँ बदल रहे न्यास अध्यक्ष वार वार बकरा घोटाले मे अपना फैसला ?
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उत्तरी सिद्धपीठ दियोटसिद्ध के मंदिर अधिकारी ने किया था उच्च न्यायलय के आदेश के दरकिनार उस बकरा घोटाले मे अभी तक नहीं हुई कारवाई
बड़सर/ शर्मा/सतीश शर्मा विट्टू
जब से मंदिर अधिकारी संदीप चंदेल आया है तब से मंदिर में घोटाले की भरमार ही लग चुकी है बात की जाए सबसे बड़े घोटाले बकरा घोटाले की। मंदिर अधिकारी उस दिन खुद छुट्टी पर था जिस दिन इस ने हाईकोर्ट के आदेशों की दरकिनार कर एक लिपिक कर्मचारी को करके बकरे की नीलामी करने के लिए कह दिया। उसने सभी नियमों कोताक पर रख कर वकरों की नीलामी न करवा कर सीधे तौर पर ही सवसे कम रेटों में अपने रिश्तेदारों व दोस्तों को वेच दिये।
मामला मीडिया में आने के वाद उक्त लिपिक को सस्पैड कर दिया गया और जांच तहसीलदार बडसर से करवाई गई तथा उस रिपोर्ट में उक्त कर्मचारी दोषी पाया गया। आगे की कार्यवाही के लिए मामला जांच हेतु स्टेट विजीलैस को दे दिया गया । लिपिक के खिलाफ कार्यवाही हो गई लेकिन मन्दिर अधिकारी ने माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना कर अपने चहेते कनिष्ठ लिपिक को नीलामी की जिम्मेदारी सौप दी उस के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं हुई। मन्दिर अधिकारी ने अपना दोष छिपाने के लिए उक्त दोषी सस्पेंडड कर्मचारी को 15 दिनो के भीतर वहाल करवा दिया जवकि नियमों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि दोषी कर्मचारी को रैगुलर जांच के विना 15 दिनों के अन्दर वहाल कर दिया जाये। यह सिर्फ अपना दोष छिपाने के लिए उक्त मंदिर अधिकारी संदीप चंदेल व अध्यक्ष का खेला किया गया है। सूत्रों की माने तो अब अध्यक्ष व मंदिर अधिकारी उक्त ससपेंड किये लिपिक जो मंदिर अधिकारी का चहेता है इस मे क्लीनचिट दे रहे है ओर इस लिपिक ने मंदिर मे न होकर भी न्यास की तरफ से दिया गया हाल भी खाली नहीं किया सूत्रों के हवाले से पता चला है। अब देखना होगा क्या अध्यक्ष इस बात पर मोहर लगाते है या कानून के दायरे मे रह कर कारवाई करेंगे।
इस प्रकरण के वारे मे
जब अध्यक्ष व सब डिवीज़न ऑफिसर राजिंदर गौतम से पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने फोन उठाना उचित नहीं समझा
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